Add To collaction

बरसात की रात और पहली मुलाकात

जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

एक रोज जब काम से जल्दी घर लौट आया तो सोचा कि घर की थोड़ी सफाई कर लेता हूं जो कुछ फालतू की चीजों होंगी उन्हें किसी कबाड़ी वाले को दे दूंगा। फालतू चीजों को निकालते हुए पांच साल पुराना एक छोटा सा बक्सा हाथ लग गया। उसे खोल कर देखा तो कुछ पुरानी यादें ताजा हो गईं और मेरी सोच पांच साल पीछे पहुंच गई।

उन दिनों हमारे कॉलेज का नाम एक डांस कंपिटीशन के लिए चुना गया था जो दूसरे शहर में होना था। मेरी जिम्मेदारी कास्ट्यूम की अरेंजमेंट करने में लगाई गई थी। कंपिटीशन से पिछली शाम जब सब कास्ट्यूम का निरीक्षण किया तो देखा कि एक कास्ट्यूम में थोड़े सुधार की जरूरत थी। मैं(राज) किसी टेलर की दूकान ढूंढने के लिए मार्किट की तरफ चला गया। मेरे साथ मेरा ख़ास दोस्त अमन भी साथ में ही था जो कास्ट्यूम वाले काम में पार्टनर था। हम दोनों ढूंढते हुए एक दूकान के पास पहुंच गया। अमन और मै ड्रेस सही करवाने के लिए दूकान के अंदर चले गए। 

"इसे सही होने में लगभग आधा घंटा लग जाएगा। तब तक आप लोग चाहो तो अंदर वाले कैबिन में बैठ कर इंतजार कर लीजिए।" इतना कह कर दूकान वाला पीछे वर्किंग एरिया में चला गया। मैं और अमन मार्किट में घूमने लगे। चुभते हुए रात के आठ बज चुके थे। अमन को भूख लगी तो वो कुछ खाने चला गया। मैं वहां रुक कर उसका इंतज़ार कर रहा था कि अचानक बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने हेतु मैं वहीं एक दुकान के पास जाकर खड़ा हो गया।

अचानक एक साइकिल मेरे सामने से गुजरते हुए चली गई। पानी में से निकलते हुए उसके साइकिल से कुछ छींटे मेरी तरफ उछल पड़े। तो उसने माफ़ी मांगने के अंदाज में पलटते हुए देखा। सादगी वाले कपड़े में वो क्या गजब की खुबसूरत ‌थी। नशीली आंखें, सुराही दार गर्दन पर एक छोटा सा तिल, एक आंख दबा कर हिचकिचाहट के साथ मेरी तरफ देखना, लंबे लहलहाते हुए बाल (आगे और भी कुछ देख पाता उससे पहले उस बेवकूफ अमन ने आ कर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझे हिलाया)

"क्या हुआ राज? ऐसे बुत बन कर रास्ते पर क्या देखें जा रहे हो? चले काम हो गया है। अब वापस चलते हैं, सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे। अमन की बात खत्म होते ही मैंने दोबारा उसी तरफ देखा किंतु शायद वो मुझे दोस्त के साथ बात करते देख वहां से जा चुकी थी। 

जहां पर उसने रुक कर मेरी तरफ पलट कर देखा था। वहां पर हल्के नीले रंग का एक झुमका गिरा हुआ था। मैं और अमन भी उसी तरफ चलने लगे। झुमके वाली जगह पर पहुंच कर मैंने अपना मोबाइल नीचे गिराया। मोबाइल उठाते हुए साथ में झुमका भी उठा कर जेब में रख लिया। मैंने सोचा था कि इसी बहाने दोबारा मिलने पर बात करने का मौका मिल जाएगा। लेकिन उन तीन दिनों में रोज़ में उस रास्ते की तरफ देखता रहा जहां से उसने एंट्री मारी थी पर वो कहीं नजर नहीं आई। और उसकी निशानी के तौर पर यह झुमका आज भी मेरी यादों के बक्से में बिराजमान रहता है। 

यादों के झरोखे से

   14
7 Comments

Ravi Goyal

17-Jun-2021 08:09 AM

बहुत खूबसूरत कहानी 👌👌

Reply

Kshama bajpai

16-Jun-2021 08:32 PM

Wahhh ...wahhh❤❤

Reply

खूबसूरत संस्मरण को बड़ी ही खूबसूरती से उकेरा है आपने बन्धु 👌👌❤️❤️👌👌

Reply